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ज़िन्दगी गुलज़ार है

२३ फ़रवरी – ज़ारून 

क्या दिन था आज का दिन भी. ग़लत चीज़ें गैर-मुतवक्का (आशातीत, अप्रत्याशित) बातें. मैं कभी सोच भी नहीं सकता था कि ओसामा मुझे ये सरप्राइज देना चाहता था. जी.सी. के ओल्ड स्टूडेंट्स की एक गैदरिंग करवाई थी उसने शेखपुरा में और मुझे भी इन्वाइट किया था. ब्यूरोक्रेटस के एक बड़ा इज्तेमा (गैदरिंग) वहाँ था. बहुत से नए पुराने चेहरे नज़र आये थे. कुछ से मैं वाकिफ़ था, कुछ से अनजान था, मगर फिर भी मैंने फंक्शन को एन्जॉय किया था. फंक्शन के दौरान वो मेरे पास आया था.

यार! सरप्राइज मुकम्मल नहीं हो सका. वो किसी मशरूफ़ियत की वजह से आ ही नहीं सकी.”

मैंने बड़ी हैरानी से उससे पूछा था, “कौन नहीं आ सकी?”

मिस मुर्तज़ा” उसने मुख़्तसर (संक्षेप) सा जवाब दिया था.

कौन है भाई ये मिस मुर्तज़ा?” वो मेरे सवाल पर कुछ हैरान नज़र आया था.

हमारी क्लास फ़ेलो है.”

भई नाम बताओ तो पता चलेगा ना.” मैंने सॉफ्ट ड्रिंक का सिप लेते हुए कहा था. वो मेरे पास बैठ गया.

ऐसा करो कि तुम हमारी हर क्लास फेलो के नाम के साथ मुर्तज़ा लगा कर देखो.”

नाबिला मुर्तज़ा, आलिया मुर्तज़ा, शाजिया मुर्तज़ा…” मैं एक-एक नाम लेने लगा. वो अजीब सी मुस्कराहट से मुझे देख रहा था, “…मौरीन मुर्तज़ा, कशफ़ मुर्तज़ा…” एकदम मेरे ज़हन में झमका हुआ था. मैं बेइख्तियार (एकाएक, मजबूरन) चुप हो गया.

बाक़ी नाम भी लो, चुप क्यों हो गए?” उसने मुस्कुराते हुए कहा था.

ये मिस मुर्तज़ा कशफ़ मुर्तज़ा है ना? तुमने उसे कहाँ से ढूंढ निकाला?”

हाँ ये कशफ़ मुर्तज़ा ही है. एक दफ़ा लाहौर में मीटिंग हुई थी, पूरे पंजाब के इन्तेज़ामी ओहदेदारों की, उसी में कशफ़ से मुलाक़ात हुई थी. वो असिस्टेंट कमिश्नर के तौर पर गुजरात में पोस्टेड है. बाद में भी एक दो बार उससे मुलाक़ात हुई थी. मैंने ये गैदरिंग इसलिए अरेंज की थी कि तुम्हें उससे मिलवाऊं, मगर वो आई नहीं. सो मेरा सरप्राइज सही मायनों में सरप्राइज साबित हुआ.”

क्या हम उससे मिलने नहीं जा सकते?”

हाँ हाँ क्यों नहीं? बहुत अच्छे ताल्लुकात रहे हैं तुम्हारे उससे कि अब तुम उससे मिलने जाओगे.”

मैं उसकी बात पर ख़ामोश हो गया था. फिर हम लोगों ने इस सिलसिले में कोई बात नहीं की, मगर अपने कमरे में आने के बाद मैं सोच रहा हूँ कि मैं कशफ़ से कैसे मिल सकता हूँ. ये बात मेरे वहम-ओ-गुमान (सोच, कल्पना) में भी नहीं थी कि वो इस ओहदे तक पहुँच सकती है, मगर उसने एक बार फिर साबित कर दिया कि वो आम लड़की नहीं है.

कशफ़ मुर्तज़ा का नाम मैं पिछले कई सालों की डायरीज़ में बार-बार लिख रहा हूँ, मगर मैं कितना स्टुपिड हूँ कि आज मुझे उसका नाम ही याद नहीं आया. आज रात मैं सो नहीं पाऊंगा क्योंकि मैं सोना चाहता ही नहीं. मैं उससे मिलना चाहता हूँ. एक बार सिर्फ़ एक बार. मगर ये कैसे होगा, मैं नहीं जानता. मैं जो हर बात का हल निकाल लेता हूँ, इस मसले का हल निकालने से कासिर (शिकस्त खाया हुआ) हूँ.      

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3 Comments

Radhika

09-Mar-2023 04:25 PM

Nice

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Alka jain

09-Mar-2023 04:12 PM

शानदार

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Dr. Arpita Agrawal

11-Mar-2022 12:31 AM

बेहतरीन 👌

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